कुल 60 पुरुष और 40 महिलाएं रामदेव से संन्यास की दीक्षा लेंगी जबकि 500 पुरुष और महिलाएं आचार्य बालकृष्ण से ब्रह्मचर्य की दीक्षा लेंगी।
बालकृष्ण ने यह भी कहा कि सच्ची सनातन वैदिक परंपरा की सांस्कृतिक विरासत को अक्षुण्ण रखने के लिए पतंजलि अनेक वैदिक गुरुकुल चला रहा है।
उन्होंने कहा कि चुने हुए सन्यासी आध्यात्मिक उत्थान के आध्यात्मिक नेतृत्व के लिए अपना जीवन राष्ट्र को समर्पित करेंगे।
रामदेव ने इस अवसर पर कहा कि नए संन्यासियों को भारतीय संतों द्वारा निर्धारित परंपरा के अनुसार संन्यास की दीक्षा दी जाएगी।
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उन्होंने कहा कि पतंजलि लिंग, जाति, धर्म और संप्रदाय के आधार पर भेदभाव नहीं करती है।
उन्होंने कहा कि नए सन्यासियों को शिक्षा दी जाएगी और वे वेद, वेदांग और उपनिषद सीखेंगे और उनमें महारत हासिल करेंगे।
उन्होंने कहा कि ये सन्यासी योग धर्म, ऋषि धर्म, वेद धर्म और सनातन धर्म की वैश्विक प्रतिष्ठा के लिए दृढ़ संकल्पित होंगे और भारतीय सनातन संस्कृति के संरक्षण में अपना योगदान देंगे।