उत्तराखंड का अनोखा रिकॉर्ड : सबसे ज्यादा और कम वक्त में बदले गए मुख्यमंत्री !
उत्तराखंड में मुख्यमंत्री का अनोखा रिकॉर्ड यहाँ सबसे ज्यादा और कम वक्त में मुख्यमंत्री बदले गए , जहां कई मुख्यमंत्रियों ने अपना 5 साल का कार्यकाल पूरा नहीं किया।
इतना ही नहीं 5 साल के कार्यकाल के दौरान तीन-तीन मुख्यमंत्रियों ने शपथ ली और एक मुख्यमंत्री ने तो 3 बार शपथ लिया है. ये सब हुआ है उत्तराखंड राज्य में जहां बीते 22 सालों में 11 मुख्यमंत्रियों ने बतौर मुख्यमंत्री पद की शपथ ली है।
उत्तराखंड राज्य का गठन 9 नवंबर 2000 को हुआ था. उस वक्त नित्यानंद स्वामी राज्य के पहले मुख्यमंत्री बनाए गए थे. उनका कार्यकाल 9 नवंबर 2000 से 29 अक्टूबर 2001 तक यानी कुल 354 दिनों का था।
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उनके बाद भगत सिंह कोश्यारी को नया सीएम बनाया गया था. उनका भी कार्यकाल चार महीने का ही था. उसके बाद 2002 में हुए राज्य के पहले विधानसभा चुनाव में सत्तासीन बीजेपी की हार हुई थी और कांग्रेस की जीत हुई थी।
तब कांग्रेस की तरफ से नारायण दत्त तिवारी राज्य के मुख्यमंत्री बनाए गए थे. बता दें कि उत्तराखंड के इतिहास में अब तक नारायण दत्त तिवारी ही ऐसे अकेले नेता रहे हैं, जिन्होंने अपने मुख्यमंत्री का कार्यकाल पूरे पांच साल तक पूरा किया है।
तिवारी 2 मार्च 2002 से लेकर 7 मार्च 2007 तक राज्य के मुख्यमंत्री थे. साल 2007 में विधानसभा चुनाव में बीजेपी की जीत हुई थी।
जिसके बाद भुवन चंद्र खंडूरी को राज्य का नया सीएम बनाया गया था. लेकिन उन्हें भी बीच में ही पद छोड़ना पड़ा था. बता दें कि 7 मार्च, 2007 से लेकर 26 जून 2009 तक यानी कुल 2 साल 111 दिन तक खंडूरी राज्य के सीएम पद पर थे।
उनके बाद रमेश पोखरियाल को बीजेपी ने मुख्यमंत्री बनाया था. उन्होंने भी 27 जून, 2009 से लेकर 10 सितंबर, 2011 तक यानी कुल 2 साल 75 दिनों तक राज्य के मुख्यमंत्री के रूप में सेवा की थी।
लेकिन चुनावों से ठीक पहले उन्हें हटाकर फिर से भुवन चंद्र खंडूरी को मुख्यमंत्री बना दिया गया था. इस बार उनका कार्यकाल 11 सितंबर 2011 से 13 मार्च 2012 तक (184 दिन) का था।
हरीश रावत एक कार्यकाल में तीन बार बने मुख्यमंत्री
तीसरी विधानसभा का गठन होने के बाद फिर से कांग्रेस की सरकार बनी और विजय बहुगुणा को पार्टी ने राज्य का नया मुख्यमंत्री बनाया था. लेकिन उन्हें भी 1 साल 324 दिन के बाद पद से इस्तीफा देना पड़ा था. फिर बहुगुणा 13 मार्च 2012 से लेकर 31 जनवरी 2014 तक सीएम पद पर थे।
उनके बाद हरीश रावत को नया मुख्यमंत्री बनाया गया था, बता दें कि हरीश रावत सियासी उठापटक के बीच इसी विधान सभा के कार्यकाल में तीन बार मुख्यमंत्री बने थे. हरीश रावत ने सबसे पहले 1 फरवरी, 2014 को मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी।
जिसके बाद 27 मार्च 2016 को राज्य में राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया था, लेकिन हाईकोर्ट के फैसले के बाद 25 दिन में ही उसे हटा दिया गया।
इस तरह रावत ने एक दिन के लिए दूसरी बार 21 अप्रैल 2016 को सीएम पद की शपथ ली थी. 22 अप्रैल को फिर से राज्य में राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया था, जो 19 दिन चक चला था।
अदालती कार्यवाही के बाद फिर से रावत ने 11 मई, 2016 को सीएम पद की कमान संभाली और वह 18 मार्च, 2017 तक इस पद पर थे।
इसके बाद फिर चौथी विधानसभा के चुनाव में कांग्रेस की हार हुई और बीजेपी की जीत हुई थी. बीजेपी पार्टी की तरफ से त्रिवेंद्र सिंह रावत को सीएम बनाया गया था।
उन्होंने 18 मार्च, 2017 को सीएम पद की शपथ ली. लेकिन उन्होंने 10 मार्च को अपने पद से इस्तीफा दे दिया था. उनके बाद तीरथ सिंह रावत को सीएम बनाया गया, जिन्होंने 2 जुलाई को सबसे छोटा कार्यकाल (मात्र 114 दिन) के बाद इस्तीफा दे दिया था।
इसके बाद बीजेपी ने पुष्कर सिंह धामी को राज्य का मुख्यमंत्री बनाया है. 2022 में हुए विधानसभा में भी बीजेपी ने बहुमत से सरकार बनाई और फिर से पुष्कर सिंह धामी को मुख्यमंत्री बनाया है जो मौजूदा वक़्त में एक मजबूत स्थिति में नज़र आ रहे हैं।