चंद्रयान-3 को ले जा रहे 642 टन वजनी, 43.5 मीटर ऊंचे रॉकेट LVM3-M4 ने श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से उड़ान भरी।
साथ ही चंद्रयान-3 को कक्षा बढ़ाने की प्रक्रिया के बाद लूनर ट्रांसफर ट्रेजेक्टरी में डाला जाएगा।
अगले 42 दिनों में 30,00,00 किमी से अधिक की दूरी तय करते हुए यह चंद्रमा तक पहुंच जाएगा।
लॉन्च से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि ‘भारतीय अंतरिक्ष के क्षेत्र में 14 जुलाई 2023 का दिन हमेशा स्वर्ण अक्षरों में अंकित रहेगा तथा यह राष्ट्र की आशाओं और सपनों को आगे बढ़ाएगा।
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वही आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से शुक्रवार को चंद्रमा पर भारत के तीसरा मिशन चंद्रयान-3 का प्रक्षेपण किया गया।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) का 642 टन वजन वाला एलवीएम3 रॉकेट ने दोपहर बाद 2.35 बजे चंद्रयान के साथ उड़ान भरी।
चंद्रयान को चंद्रमा पर पहुंचने में करीब 40 दिन लगेंगे।
प्रक्षेपण के ठीक 16 मिनट बाद लगभग 2.50 बजे करीब 179 किमी की ऊंचाई पर चंद्रयान-3 रॉकेट से अलग हो जाएगा।
इसके बाद चंद्रयान-3 लगभग 3.84 लाख किमी की अपनी लंबी चंद्रमा यात्रा शुरू करेगा।
अंतरिक्ष यान द्वारा ले जाए गए लैंडर के 23 या 24 अगस्त को चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग करने की उम्मीद है।
ISRO चार साल बाद एक बार फिर पृथ्वी के इकलौते उपग्रह चांद पर चंद्रयान पहुंचाने के लिए तैयार है।
पूरे देश की नजरें ISRO वैज्ञानिकों पर टिकी हैं।
इसरो का चांद पर यान को ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ कराने यानी सुरक्षित तरीके से यान उतारने का यह मिशन अगर सफल हो जाता है तो भारत चुनिंदा देशों की एलीट लिस्ट में शामिल हो जाएगा।
अगर भारत ऐसा कर पाने में सफल हो जाता है वह अमेरिका, चीन और पूर्व सोवियत संघ के बाद इस सूची में चौथा देश बन जाएगा।