उत्तराखण्ड

उत्तराखंड के जोशीमठ में हो रहे भू-धसांव के बाद जन जीवन अस्त-व्यस्त, भू-धंसाव ये दरार वाले भवनों की संख्या बढ़कर 849:

प्रदेश में सिर्फ जोशीमठ ही नहीं कर्णप्रयाग, श्रीनगर, नैनीताल, उत्तरकाशी, बागेश्वर में भी भू-धंसाव देखने को मिल रहा है।

कर्णप्रयाग में लगातार धंस रही जमीन:

NH-7 पर जोशीमठ से करीब 83 किलोमीटर दूर अलकनंदा नदी की घाटी में नीचे की तरफ बढ़ने कर्णप्रयाग में भी घरों की दीवारों में दरारें आने का जो सिलसिला जारी है।

यहां करीब 50 घर दरके हैं, घरों की नींव हिल चुकी है, 50 में से करीब 26-27 घर रहने लायक नहीं बचे, फिर भी लोगों को इन्हीं टूटे मकानों में रहना पड़ रहा है।

कर्णप्रयाग में साल 2013 में आई आपदा के बाद से लगातार अलग-अलग इलाकों में जमीन धंसने की घटनाएं होती रही हैं। यहां सब्जी मंडी से ऊपर जाने वाला रास्ता पूरी तरह टूट गया है।

कई जगह बड़ी-बड़ी दरारें हैं, यहां पैदल चलना जान खतरे में डालने जैसा है।

श्रीनगर में भी करीब 30 घरों में दरारे:

जोशीमठ से 146 किलोमीटर दूर श्रीनगर के हाइडल मोहल्ला के आशीष विहार और नर्सरी रोड इलाके में करीब 30 घरों में दरारें आ गई हैं।

करीब 6 महीने पहले लोगों ने टनल के लिए की जा रही ब्लास्टिंग की वजह से घरों में कंपन महसूस की।

घरों में दरारें आ गई और ब्लास्टिंग के दौरान खिड़कियों के कांच भी टूट गए थे।

हल्द्वानी तक आ सकती है बाढ़:

झीलों का शहर नैनीताल भी जोशीमठ बनने से पीछे नहीं है। नैनीताल में सबसे बड़ा खतरा है। यहां के तीन इलाके लैंडस्लाइड के लिहाज से सेंसिटिव जोन में हैं।

एक्सपर्ट आशंका जता चुके हैं कि यहां कंस्ट्रक्शन किया गया और नैनी झील को नुकसान हुआ, तो इसका पानी 43 किमी दूर हल्द्वानी तक बाढ़ ला देगा।

जोशीमठ से 272 किलोमीटर दूर नैनीताल के हनुमान वाटिका में बलिया नाले के पास साल 2009 से ही जमीन धंस रही है।

आज तक नहीं बस पाएं 50 घर:

जोशीमठ जैसी ही स्थिति उत्तरकाशी जिले के भटवाड़ी में भी देखने को मिल रही है।

जोशीमठ से 286 किलोमीटर दूर होने के बावजूद भटवाड़ी की भौगोलिक स्थिति भी मिलती-जुलती है।

भटवाड़ी गांव और शहर के नीचे गंगा भागीरथी बहती है और ठीक उसके ऊपर गंगोत्री नेशनल हाईवे है। ये हाईवे सेना के लिए भी अहम है।

साल 2010 में यहां गंगा भागीरथी के कटाव से करीब 50 मकान ढह गए थे और नेशनल हाईवे का एक हिस्सा नदी में समा गया था।

सरकार द्वारा इन 50 परिवारों को नई जगह पर बसाने की बात कही गई थी पर आज तक एक भी परिवार नहीं बस पाया है।

सभी दरारों वाले घरों में ही रह रहे हैं। सरकार की तरफ से कोई ध्यान देने वाला नहीं है।

 

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