दूसरी ओर रेलवे की तरफ से कहा गया है कि रेलवे की 29 एकड़ भूमि पर लगभग 4365 अतिक्रमण कारी मौजूद हैं और रेलवे ने टीपी एक्ट के तहत सभी को सुनवाई का पर्याप्त मौका दिया था।
वहीं सरकार की ओर से कहा गया है कि यह राज्य सरकार की नहीं रेलवे की भूमि है ।
वही याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया है कि अदालत के बार-बार आदेश होने के बाद भी अतिक्रमण नहीं हटाया गया।
पूर्व में अदालत ने सभी अतिक्रमणकारियों से अपनी अपनी आपत्ति पेश करने को कहा गया था, वहीं अदालत ने सभी आपत्तियों व पक्षकारों को सुनने के बाद निर्णय सुरक्षित रख लिया था ।
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वही हल्द्वानी के निवासी रविशंकर जोशी की ओर से दायर जनहित याचिका पर 1 नवंबर को अंतिम सुनवाई के साथ ही निर्णय सुरक्षित रख लिया गया।
सुनवाई के दौरान कुछ अतिक्रमणकारियों की ओर से याचिका दायर कर कहा गया कि रेलवे उन्हें हटाने के लिए एक तरफा कार्यवाही कर रहा है और उन्हें सुनवाई का मौका नहीं दिया जा रहा।
इसके बाद अदालत ने उन्हें सुनवाई के लिए मौका भी दिया।
हल्द्वानी के बनफूल पुरा में 29 एकड़ भूमि पर काबिज करीब 4365 अतिक्रमणकारी है, इन जमीनों पर बने धार्मिक स्थल, स्कूल, व्यवसायिक प्रतिष्ठान और मकान इत्यादि हैं।
अदालत ने कहा है कि कोर्ट ने बीती 1 नवंबर को अंतिम सुनवाई के साथ ही सुरक्षित निर्णय ले लिया था।
अब आदेश दिए गए हैं कि रेलवे 1 सप्ताह में नोटिस दे अतिक्रमण हटाने की कार्यवाही अमल में लाएं।