जबकि राधा की चचेरी बहन चांदनी और उनकी सहेली गुड़िया हादसे के शिकार होने से बाल-बाल बचे हैं।
ट्रेन गुजरने के दौरान छात्राएं रेलवे लाइन के पास खड़ी थीं. छात्रा ने एक ट्रेन गुजरते ही पार करने के लिए दौड़ लगाई और इसी बीच तबतक दूसरी ट्रेन आ गयी और छात्रा हादसे का शिकार हो गयी।
पुलिस ने परिजनों की सहमति के बाद शव का पोस्टमार्टम नहीं करवाया।
सिविल लाइंस थाने के गांव विशनपुर निवासी राजवीर मजदूर है. उनके परिवार में उनकी पत्नी राकेश और उनकी बेटी राधा के अलावा तीन बच्चे शिवानी, मीनाक्षी, और छोटा बेटा अमित हैं।
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राधा उनकी तीसरे नंबर की बेटी थी जो की लोधीपुर स्थित चिरंजीलाल इंटर कॉलेज में कक्षा दो की छात्रा थी।
राधा का स्कूल रेलवे फाटक पार करके दूसरी तरफ था. और सोमवार को राधा अपने चचेरी बहन चांदनी और सहेली गुड़िया के साथ स्कूल से घर की ओर आ रही थी ।
सोमवार को करीब डेढ़ बजे रेलवे फाटक बंद था. इंटर में पढ़ने वाली चांदनी ने राधा और गुड़िया का हाथ पकड़ कर रखा था।
और बच्चे बूम पार कर रेलवे लाईन से पीछे रुक गए. और उसी बीच मुरादाबाद से दिल्ली की ओर जाने वाली ट्रेन वहाँ से गुजरी और राधा ने सोचा की अब ट्रेन चली गयी हैं और रास्ता साफ हो गया हैं ।
राधा ने चांदनी से अपना हाथ छुड़ाया और वहाँ से भाग गयी तभी दिल्ली की तरफ आ रही तेज रफ्तार में ट्रेन ने राधा की जिंदगी छिन ली ।
बच्ची का बैग ट्रेन के एंगल में फंस गया था. और ट्रेन ने बच्ची को बहुत दूर फेंक दिया।
राधा का सर पत्थर से टकराने से राधा की मौके पे ही मौत हो गयी थीं. बच्चों की चीखने की आवाज सुनकर खेत में काम कर रहे मृतका के चाचा खेम सिंह दौड़े. और उन्होने बच्ची को उठाया और परिवार के लोगों को बुलाया और परिजनों ने पुलिस से कोई भी कार्रवाई करने से इंकार कर दिया। पुलिस समझौता लिखवाकर लौट गई।