कानपुर संवाददाता। उत्तर प्रदेश के कानपुर में एक ऐसा मामला सामने आया है, जो कोरोनाकाल में लोगों के सामने आई परेशानी को बयां करता है। दरअसल, ऐसे सैकड़ों लोगों को बैंक ने डिफाल्टर घोषित कर दिया है जो लोन चुका नहीं पाए हैं। उनके साथ उनके गारंटर को भी इसका खामियाजा भुगतना पड़ रहा है। जानकारी के मुताबिक ऐसे 1400 लोगों को डिफाल्ट घोषित किया गया जो लोन लेने वालों के गारंटर बने थे।
बता दें कि कानपुर में लोगों ने लोन लिया लेकिन कोरोना वायरस के कारण आर्थिक संकट आया तो बिजनेस धंधा चौपट हो गया। बहुतों की प्राइवेट जॉब भी छूट गई, ऐसे में लोगों के सामने बैंक की ईएमआई भर पाने का संकट खड़ा हो गया। यही वजह है कि लोन लेने वााले ऐसे गारंटर जिन्होंने कभी लोन नहीं लिया लेकिन गारंटी लेने में फंस गए और डिफाल्टर घोषित कर दिए गए। बताया जा रहा है कि एक साल में 2700 कार और पर्सनल लोन डिफाल्ट घोषित हो चुके हैं। ये आकंड़े बीते साल की तुलना में 40% ज्यादा हैं. इस साल लोन का 25% भी वापस नहीं मिला है।
जानकारी में रहे कि लोन गारंटर बनने से पहले लोगों को ये जान लेना चाहिए कि फ्यूचर में उसे परेशानी हो सकती है। लोन गारंटर बनने का मतलब है कि अगर लोन लेने वाला समय पर लोन नहीं चुका पाता है तो जो व्यक्ति लोन गारंटर बनता है उसे ये रकम चुकानी होती है। एक्सपर्ट कहते हैं कि अगर कर्ज लेने वाले की फाइनेंशियल हिस्ट्री में अच्छा क्रेडिट नहीं है और पिछले रीपेमेंट का रिकॉर्ड भी सही नहीं है तो पर्सनल लोन लेते समय लोन गारंटर की जरूरत होती है।