उत्तराखंड की महारानी क्यों है मशहूर? : महिलाओं को अकसर सजने संवरने का काफी शौक होता है और आजकल के दौर में महिलाएं अपने इस लाइफस्टाइल को मेंटेन करने के लिए खूब पैसा भी खर्च करती हैं। मगर क्या आप जानते हैं कि पुराने समय में भी एक महारानी हुआ करती थीं, जो सजने संवरने में खूब पैसा बहाती थीं। इन महारानी का नाम था सीता देवी, जिन्हें राजकुमारी करम के नाम से भी जाना जाता था। अपने अनोखे लाइफस्टाइल के चलते खूब मशहूर थीं। 1915 में उत्तराखंड के काशीपुर में राजा उदय सिंह के घर उनका जन्म हुआ था। महज 13 साल की उम्र में उनकी शादी कपूरथला के राजकुमार कर्मजीत सिंह से करवा गई थी। शुरुआती जिंदगी पारंपरिक शाही परंपराओं में गुजरा।
बाद में, उन्होंने द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान भारतीय सैनिकों के लिए धन जुटाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिससे उनके देश के प्रति समर्पण का पता चलता है। महारानी अपने शानदार लाइफस्टाइल और अनोखे फैशन सेंस के लिए मशहूर थीं। उनकी जिंदगी में एक अहम मोड़ तब आया जब मद्रास हॉर्स रेस में उनकी मुलाकात बड़ौदा के महाराजा प्रताप सिंह राव गायकवाड़ से हुई। उस समय महाराजा दुनिया के सबसे धनी लोगों में से एक थे। इस मुलाकात ने उनके जीवन में एक नया अध्याय जोड़ दिया। 1915 में उत्तराखंड के काशीपुर के राजा उदय राज सिंह के घर जन्मी सीता देवी ने महज 13 साल की उम्र में कपूरथला के राजकुमार कर्मजीत सिंह से शादी कर ली थी। उनका प्रारंभिक जीवन शाही परंपराओं से भरा हुआ था। बाद में, उन्होंने द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान भारतीय सैनिकों के लिए धन जुटाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिससे उनके देश के प्रति समर्पण का पता चलता है।
सीता देवी की शानदार जीवनशैली के बारे में लोगों को पता था। उन्होंने और महाराजा ने खूब शॉपिंग की, जिसमें अमेरिका की यात्रा भी शामिल थी, जहां उन्होंने 83 करोड़ रुपये खर्च किए। उनकी अलमारी भी उतनी ही शानदार थी, जिसमें हजारों साड़ियां थीं और हर साड़ियां उनके जूतों से मैच करती थीं। उनके गहनों का संग्रह उनकी शानदार पसंद का एक और सबूत था। महारानी के फैशन सेंस ने कई लोगों को अट्रैक्ट किया, जिनमें शीर्ष इतालवी फैशन हाउस शिआपरेली भी शामिल है। वे उनकी साड़ी पहनने की शैली के इतने मुरीद थे कि इसने उनके डिजाइन को प्रभावित किया। उनकी सुंदरता के साथ-साथ उनकी शान और बुद्धिमत्ता भी उनके आकर्षण का हिस्सा थी।
सीता देवी का आभूषण संग्रह असाधारण से कम नहीं था। रिपोर्ट बताती है कि उन्हें बड़ौदा के खजाने से कई बेहतरीन आभूषण मिले, जिनमें से कुछ मुगल काल के थे। इनमें सात-धागे वाला मोती का हार और तीन पंक्तियों वाला हीरों का हार शामिल था, जिसमें ‘स्टार ऑफ द साउथ’ और ‘इंग्लिश ड्रेसडेन’ हीरे जड़े हुए थे। मोनाको में उनके संग्रह के कई टुकड़ों की नीलामी की गई, लेकिन सात-धागे वाला मोती का हार बड़ौदा रॉयल ट्रेजरी में ही रहा। ये टुकड़ा उनकी शानदार जीवनशैली और विलासिता के प्रति उनके स्वाद की स्थायी विरासत का प्रतीक था। महारानी सीता देवी की कहानी परिवर्तन और भव्यता की कहानी है। एक धनी ज़मींदार से शादी करने से लेकर शाही हलकों में एक प्रमुख व्यक्ति बनने तक, उनकी यात्रा व्यक्तिगत विकास और ऐतिहासिक महत्व दोनों ही नजर आते हैं।