लक्ष्मी-गणेश की मूर्ति से दीवाली पूजा : हमारे देश में दीपावली को दीपोत्सव मानते हैं और माता लक्ष्मी की कृपा पाने के लिए विशेष पूजन करते हैं। दीपावली को हिंदू धर्म का सबसे बड़ा त्योहार माना जाता है , जो कि पूरे 5 दिनों तक चलता है. इस दिन लक्ष्मी-गणेश की एक साथ पूजा करने का विधान है. दिवाली की शाम घर, दुकान, ऑफिस से लेकर कारखाने आदि जगहों पर लक्ष्मी-गणेश की मूर्ति स्थापित की जाती है.खोजी नारद इस त्यौहार से जुड़े एक फैक्टर को खोज कर लाया है जो आपको जानना ज़रूरी है।
हर साल दिवाली पर मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की नई मूर्ति खरीदी जाती है. दिवाली के दिन नई मूर्ति में पूजा-अनुष्ठान करने के बाद यह मूर्ति पूरे साल स्थापित रहती है और पुरानी मूर्ति का विसर्जन कर दिया जाता है. लेकिन क्या आपने सोचा है कि आखिर हर साल दिवाली में नई मूर्ति में ही क्यों होती है लक्ष्मी गणेश की पूजा. आखिर क्या है इसके पीछे का कारण या मान्यता.
दिवाली में लक्ष्मी-गणेश की वही मूर्ति नई खरीदी जाती है जोकि मिट्टी से बनी होती है. सोना, चांदी या पीतल जैसे धातुओं की मूर्ति को नहीं बदला जाता है. वहीं आमतौर पर जब गणेशोत्सव या दुर्गोत्सव में देवी-देवताओं की मूर्ति स्थापित होती है तो उसका विसर्जन दस दिनों में कर दिया जाता है. लेकिन दिवाली पर लक्ष्मी-गणेश की स्थापित मूर्ति पूरे साल रहती है.दरअसल प्राचीन काल में मिट्टी से बनी मूर्तियों में पूजा करने का अधिक प्रचलन था. जो सालभर रखने के बाद खंडित, खराब या बदरंग सी हो जाया करती थी. इसलिए दिवाली के शुभ मौके पर मूर्ति का विसर्जन कर नई मूर्ति लाई जाती थी. इसके बाद से दिवाली पर हर साल नई मूर्ति खरीदने की परंपरा की शुरुआत हो गई.
लक्ष्मी-गणेश की मूर्ति कब खरीदें
बता दें कि दिवाली में लक्ष्मी-गणेश की नई मूर्ति खरीदने के लिए धनतेरस का दिन सबसे शुभ माना जाता है. आप धनतेरस में अन्य वस्तुओं की शॉपिंग के साथ ही इस दिन लक्ष्मी-गणेश की मूर्ति भी खरीद सकते हैं. इस साल धनतेरस मंगलवार 29 अक्टूबर 2024 को है और दिवाली का पर्व 31 अक्टूबर 2024 को मनाया जाएगा….
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