दिल और दिमाग का संबंध : दिल और दिमाग दोनों ही हमारे शरीर के सबसे महत्वपूर्ण अंग हैं. दिल (Heart) का काम शरीर को ब्लड की सप्लाई करना है, जबकि दिमाग (Brain) नए-नए विचार, भावनाओं और काम को कंट्रोल करता है. लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि दोनों में से कौन सा ज्यादा ताकतवर है. दरअसल, हमारे शरीर में 100 अरब से भी अधिक न्यूरॉन्स होते हैं.इनमें से करीब 86 अरब न्यूरॉन्स दिमाग और सिर्फ 4-5 हजार दिल में होते हैं, जो हार्ट बीट, ब्लड सर्कुलेशन बनाने में हार्ट की मदद करते हैं. पहले माना जाता था कि ब्रेन पूरे शरीर को कंट्रोल करता है, हर अंग उसी के आदेश पर काम करता है, दिल को भी वही कंट्रोल करता है लेकिन एक्सपर्ट्स के मुताबिक, यह पूरा सच नहीं है. तो चलिए जानते हैं दिल और दिमाग में शरीर का असली बॉस कौन है…
दिल या दिमाग कौन ज्यादा ताकतवर
कई रिसर्च में खुलासा हुआ है कि दिल, दिमाग से आदेश लेता नहीं बल्कि देता है. वह अपनी मर्जी का मालिक है. उसे अपना काम करने के लिए दिमाग से कमांड लेने की कोई जरूरत नहीं पड़ती है. हालांकि, दोनों ही मिलकर शरीर को चलाते हैं. इस काम के लिए दोनों आपस में बात करते हैं और दोनों एक-दूसरे पर असर भी डालते हैं. इसे इस तरह समझते हैं कि कई बार एक्सीडेंट होने पर ब्रेन डेड हो जाता है, जबकि दिल धड़कता रहता है या इससे उलट दिल धड़कना बंद कर देता है, लेकिन 3-4 मिनट तक ब्रेन डेड नहीं होता है।
पहले केस में दिल डोनेट किया जाता है और दूसरे केस में ब्रेन मेडिकल स्टडी के काम आता है. जब वैज्ञानिकों ने हार्ट की इन खूबियों के बारें में जाना तो पता चला कि इसके लिए दिल के पास अपना एक सिस्टम है. रिसर्च करने पर पता चला कि हार्ट किस तरह दिमाग तक अपना मैसेज पहुंचाता है।
1960-70 के दशक में में चली दो साइको फिजियोलॉजिस्ट जॉन और लैसी की रिसर्च में सबसे पहले पता चला कि दिल दूसरे अंगों से बिल्कुल अलग है. ऐसा लगता है कि उसके पास खुद का ही कोई दिमाग है. जिससे वह दिमाग को लगातार मैसेज भेजता रहता है और दिमाग उस पर अमल भी करता है. मतलब दिमाग, दिल का आदेश मानता है. जॉन और लैसी ने यह भी पाया कि दिल के इन संदेशों का असर इंसान के व्यवहार, परफॉर्मेंस पर भी पड़ता है. ब्रेन जितनी इंफॉर्मेशन दिल को देता है, उससे कहीं ज्यादा दिल ब्रेन तक पहुंचा देता है।
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दिल या दिमाग कौन करता है ज्यादा काम
साइंटिस्ट्स के अनुसार, हमारा दिल जीतोड़ मेहनत करता है और इसका पता भी नहीं चलने देता है. हम जब खड़े होते या बैठते हैं तो इस छोटी सी चीज के लिए भी दिल को काफी काम करना पड़ता है. उसे हर बार परफेक्ट पॉइंट एडजेस्ट करना पड़ता है, ताकि ब्लड प्रेशर का लेवल मेंटेन रहे. अगर दिल ऐसा न करे तो ब्लड प्रेशर कंट्रोल नहीं होगा और जान तक जा सकती है. हालांकि, इस मेहनत की भनक तक दिल लगने नहीं देता है।
दिमाग को बीमार बना सकता है दिल
दिल हमारे व्यवहार, भावनाओं पर प्रभाव डालता है. दर्द और डिप्रेशन तक महसूस कर सकता है. दिल में पैदा होने वाले हार्मोन उसे ताकत देते हैं. दिल शरीर को कमजोर भी कर सकता है. वह दिमाग को बीमार भी बना सकता है. ऐसे में आपको समझ आ गया होगा कि दिल की ताकत कैसी है. वह हमारे लिए क्या-क्या करता है, इसके साथ ही दिल-दिमाग में कौन ज्यादा ताकतवर है।