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हेल्थ

गैंग्रीन का आयुर्वेदिक उपचार : गैंग्रीन रोग शरीर में किसे नुकसान पहुंचाता है

Khoji Narad Desk
Last updated: 2024/08/30 at 6:22 AM
Khoji Narad Desk
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13 Min Read
गैंग्रीन का आयुर्वेदिक उपचार
गैंग्रीन का आयुर्वेदिक उपचार
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अलग अलग तरह की बीमरियों में यह भी एक है और आज हम गैंग्रीन का होम्योपैथिक इलाज के साथ गैंग्रीन का आयुर्वेदिक उपचार और गैंग्रीन रोग शरीर में किसे नुकसान पहुंचाता है तथा गैंग्रीन कैसे ठीक होता है इसके बारे में आपको सुझाव देंगे।

Contents
गैंग्रीन का होम्योपैथिक इलाजमहत्वपूर्ण नोट: गैंग्रीन का आयुर्वेदिक उपचार1. औषधियाँ:2. तेल चिकित्सा (आयुर्वेदिक तेल):3. आहार और जीवनशैली:4. पंचकर्म:5. संक्रमण नियंत्रण:महत्वपूर्ण नोट: गैंग्रीन रोग शरीर में किसे नुकसान पहुंचाता है1. ऊतकों और अंगों को नुकसान:2. संक्रमण का फैलाव:3. रक्त प्रवाह में रुकावट:4. शारीरिक और मानसिक प्रभाव:5. शरीर की सामान्य कार्यप्रणाली पर असर:गैंग्रीन कैसे ठीक होता है1. सर्जरी:2. एंटीबायोटिक्स:3. हाइपरबेरिक ऑक्सीजन थैरेपी (HBOT):4. रक्त प्रवाह में सुधार:5. पेन मैनेजमेंट और सपोर्टिव केयर:6. जीवनशैली में बदलाव और रोग की रोकथाम:7. रिकवरी और रिहैबिलिटेशन:महत्वपूर्ण नोट:

गैंग्रीन का होम्योपैथिक इलाज

गैंग्रीन एक गंभीर चिकित्सा स्थिति है जिसमें शरीर के किसी हिस्से का ऊतक मर जाता है, आमतौर पर खराब रक्त संचार या संक्रमण के कारण। इस स्थिति के लिए चिकित्सा परामर्श और उपचार बहुत महत्वपूर्ण हैं। होम्योपैथी में गैंग्रीन के उपचार के लिए कुछ उपाय सुझाए जाते हैं, लेकिन इसे मुख्यधारा के चिकित्सा उपचार के साथ ही लिया जाना चाहिए। यहां कुछ होम्योपैथिक उपचार दिए गए हैं जो गैंग्रीन में सहायक हो सकते हैं:

  1. Arsenicum Album: इसका उपयोग तब किया जाता है जब प्रभावित क्षेत्र में जलन और दर्द होता है, और स्थिति अत्यधिक खराब होती है।
  2. Secale Cornutum: जब प्रभावित अंग ठंडा होता है और शरीर में अत्यधिक कमजोरी होती है, तो इस दवा का उपयोग किया जा सकता है।
  3. Carbo Vegetabilis: इसका उपयोग तब किया जाता है जब गैंग्रीन के कारण त्वचा नीली या बैंगनी हो जाती है और श्वसन संबंधी समस्याएं उत्पन्न होती हैं।
  4. Lachesis: यह तब प्रयोग किया जाता है जब गैंग्रीन का क्षेत्र काला हो जाता है और घाव से गंध आती है।
  5. Anthracinum: इस दवा का उपयोग तब किया जाता है जब गैंग्रीन के कारण तेज दर्द और सूजन होती है।

महत्वपूर्ण नोट:

  • गैंग्रीन एक मेडिकल इमरजेंसी है और इसका उपचार करने के लिए चिकित्सकीय हस्तक्षेप बहुत ज़रूरी है।
  • होम्योपैथिक उपचार का उपयोग केवल चिकित्सक की देखरेख में ही किया जाना चाहिए और इसे मुख्यधारा के चिकित्सा उपचार के साथ जोड़कर लिया जाना चाहिए। यदि आपको या किसी और को गैंग्रीन के लक्षण हैं, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।

गैंग्रीन का आयुर्वेदिक उपचार

गैंग्रीन एक गंभीर स्थिति है जिसमें प्रभावित अंग के ऊतक मर जाते हैं, और यह स्थिति जीवन के लिए खतरा बन सकती है। आयुर्वेद में, गैंग्रीन को “मांस पित्त” या “मांसशोष” के रूप में जाना जाता है। इसका उपचार मुख्य रूप से रक्त संचार में सुधार, ऊतक पुनर्जनन को बढ़ावा देने, और संक्रमण को नियंत्रित करने पर केंद्रित होता है। यहां कुछ आयुर्वेदिक उपचार और उपाय दिए गए हैं जो गैंग्रीन में सहायक हो सकते हैं:

1. औषधियाँ:

  • कंचनार गुग्गुल: यह औषधि सूजन को कम करने और ऊतक पुनर्जनन को बढ़ावा देने में सहायक हो सकती है।
  • त्रिफला चूर्ण: यह एक शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट है जो शरीर से विषाक्त पदार्थों को निकालने में मदद करता है और पाचन को सुधारता है।
  • हरिद्रा खंड: इसमें हल्दी होती है, जो एक प्राकृतिक एंटीसेप्टिक और एंटीबायोटिक है, और यह संक्रमण को रोकने में मदद करती है।
  • मंजिष्ठा: यह रक्त को शुद्ध करने में सहायक है और ऊतकों के पुनर्निर्माण में मदद करती है।

2. तेल चिकित्सा (आयुर्वेदिक तेल):

  • नारायण तेल: इस तेल का उपयोग प्रभावित क्षेत्र पर किया जा सकता है जिससे रक्त संचार में सुधार होता है और सूजन कम होती है।
  • महानारायण तेल: यह त्वचा के ऊतकों को पोषण देता है और संक्रमण को रोकने में सहायक होता है।

3. आहार और जीवनशैली:

  • संतुलित आहार: ऐसे आहार का सेवन करें जो पाचन तंत्र को स्वस्थ रखे और शरीर में ऊर्जा का स्तर बढ़ाए। हरी सब्जियों, ताजे फलों, और सम्पूर्ण अनाज का सेवन करना चाहिए।
  • गर्म पानी पीना: गर्म पानी पीने से शरीर के विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में मदद मिलती है और रक्त संचार में सुधार होता है।
  • योग और प्राणायाम: नियमित योग और प्राणायाम करने से शरीर में ऊर्जा का स्तर बढ़ता है और रक्त संचार में सुधार होता है।

4. पंचकर्म:

  • रक्तमोक्षण: यह एक विशिष्ट आयुर्वेदिक उपचार है जिसमें रक्त शुद्धि की जाती है। यह गैंग्रीन के उपचार में सहायक हो सकता है।
  • लेपन: जड़ी-बूटियों के लेप को प्रभावित क्षेत्र पर लगाने से ऊतक पुनर्जनन में सहायता मिल सकती है।

5. संक्रमण नियंत्रण:

  • नीम का उपयोग: नीम की पत्तियों का पेस्ट या नीम का तेल संक्रमित क्षेत्र पर लगाने से संक्रमण को नियंत्रित करने में मदद मिलती है।
  • हल्दी: हल्दी का सेवन या इसका पेस्ट बनाकर लगाने से सूजन और संक्रमण कम हो सकता है।

महत्वपूर्ण नोट:

गैंग्रीन का आयुर्वेदिक उपचार चिकित्सक की देखरेख में ही किया जाना चाहिए। यह याद रखना महत्वपूर्ण है कि गैंग्रीन एक चिकित्सा आपातकालीन स्थिति है और इसका उपचार आयुर्वेदिक चिकित्सा के साथ-साथ आधुनिक चिकित्सा की निगरानी में ही किया जाना चाहिए। किसी भी उपचार को शुरू करने से पहले एक योग्य आयुर्वेदिक चिकित्सक से परामर्श करना आवश्यक है। यदि आपको गैंग्रीन के लक्षण दिखाई देते हैं, तो तुरंत चिकित्सा सहायता प्राप्त करें

गैंग्रीन रोग शरीर में किसे नुकसान पहुंचाता है

गैंग्रीन एक गंभीर चिकित्सा स्थिति है जिसमें शरीर के किसी हिस्से के ऊतक मर जाते हैं। यह आमतौर पर रक्त प्रवाह में कमी या संक्रमण के कारण होता है। गैंग्रीन शरीर के कई हिस्सों और प्रणालियों को नुकसान पहुंचा सकता है:

1. ऊतकों और अंगों को नुकसान:

  • त्वचा और मांसपेशियों: गैंग्रीन त्वचा, मांसपेशियों और उपास्थियों के ऊतकों को प्रभावित करता है। प्रभावित क्षेत्र में त्वचा काली, नीली, या हरी हो सकती है और सड़ने लगती है।
  • अंगों: अगर गैंग्रीन का समय पर उपचार नहीं किया जाता है, तो प्रभावित अंग को काटने (अम्प्यूटेशन) की आवश्यकता हो सकती है।

2. संक्रमण का फैलाव:

  • सेप्सिस: अगर गैंग्रीन का संक्रमण शरीर के अन्य भागों में फैल जाता है, तो यह सेप्सिस नामक गंभीर स्थिति पैदा कर सकता है, जिसमें शरीर का इम्यून सिस्टम पूरे शरीर में फैल रहे संक्रमण के खिलाफ तीव्र प्रतिक्रिया करता है। सेप्सिस जीवन के लिए खतरा हो सकता है और इसे तत्काल चिकित्सा उपचार की आवश्यकता होती है।
  • मल्टीऑर्गन फेल्योर: गंभीर मामलों में, संक्रमण इतना बढ़ सकता है कि यह कई अंगों को प्रभावित करता है, जैसे कि हृदय, गुर्दे, और फेफड़े, जिससे अंग फेल हो सकते हैं और मृत्यु का जोखिम बढ़ जाता है।

3. रक्त प्रवाह में रुकावट:

  • खराब रक्त संचार: गैंग्रीन का कारण बनने वाली खराब रक्त संचार के कारण प्रभावित क्षेत्र में ऑक्सीजन और पोषक तत्वों की आपूर्ति कम हो जाती है। इससे ऊतक मरने लगते हैं और अंग का कार्य करना बंद हो सकता है।
  • न्यूरोपैथी: रक्त संचार की कमी के कारण नसों को भी नुकसान हो सकता है, जिससे प्रभावित क्षेत्र में संवेदनशीलता खत्म हो जाती है।

4. शारीरिक और मानसिक प्रभाव:

  • दर्द और असुविधा: गैंग्रीन प्रभावित व्यक्ति को गंभीर दर्द और असुविधा हो सकती है।
  • मानसिक स्वास्थ्य पर असर: गैंग्रीन जैसी गंभीर स्थिति का मानसिक स्वास्थ्य पर भी प्रभाव पड़ सकता है, जिससे चिंता, अवसाद, और मानसिक तनाव हो सकता है।

5. शरीर की सामान्य कार्यप्रणाली पर असर:

  • उपचार में देरी: अगर गैंग्रीन का तुरंत उपचार नहीं किया जाता है, तो यह पूरे शरीर की सामान्य कार्यप्रणाली को बाधित कर सकता है, जिससे गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं।

गैंग्रीन एक चिकित्सा आपातकाल है और इसे जल्दी से जल्दी चिकित्सा ध्यान देने की आवश्यकता होती है। अगर किसी को गैंग्रीन के लक्षण महसूस होते हैं, जैसे त्वचा का रंग बदलना, दर्द, सूजन, या सड़न की गंध आना, तो तुरंत चिकित्सा सहायता प्राप्त करना चाहिए।

गैंग्रीन कैसे ठीक होता है

गैंग्रीन का इलाज जटिल होता है और यह इस बात पर निर्भर करता है कि गैंग्रीन कितनी गंभीर है, किस प्रकार का गैंग्रीन है, और इसका क्या कारण है। इसका इलाज करने के लिए कई चिकित्सा पद्धतियाँ और हस्तक्षेप किए जा सकते हैं। नीचे गैंग्रीन के उपचार के कुछ सामान्य तरीके दिए गए हैं:

1. सर्जरी:

  • डेब्रिडमेंट: यह सर्जरी का एक प्रकार है जिसमें मृत और सड़े हुए ऊतकों को हटाया जाता है। यह प्रक्रिया ऊतक के अन्य हिस्सों में संक्रमण को फैलने से रोकने में मदद करती है।
  • अम्प्यूटेशन: यदि गैंग्रीन बहुत गंभीर हो और अन्य उपचार से बचाव संभव न हो, तो प्रभावित अंग या हिस्से को काटने की आवश्यकता हो सकती है।
  • स्किन ग्राफ्टिंग: कुछ मामलों में, गैंग्रीन के कारण खोए हुए ऊतकों को ठीक करने के लिए स्किन ग्राफ्टिंग की जाती है, जिसमें शरीर के किसी अन्य हिस्से से स्वस्थ त्वचा ली जाती है और प्रभावित क्षेत्र में प्रत्यारोपित की जाती है।

2. एंटीबायोटिक्स:

  • संक्रमण को रोकना: अगर गैंग्रीन बैक्टीरियल संक्रमण के कारण हुआ है, तो एंटीबायोटिक्स का उपयोग किया जाता है। एंटीबायोटिक्स को सीधे नस (IV) में दिया जा सकता है, ताकि यह तेजी से काम करे और संक्रमण को फैलने से रोके।
  • सेप्सिस का उपचार: यदि गैंग्रीन के कारण सेप्सिस हुआ है, तो एंटीबायोटिक थैरेपी और अन्य सहायक उपायों की आवश्यकता हो सकती है।

3. हाइपरबेरिक ऑक्सीजन थैरेपी (HBOT):

  • ऑक्सीजन की आपूर्ति बढ़ाना: हाइपरबेरिक ऑक्सीजन थैरेपी में मरीज को उच्च दबाव वाले ऑक्सीजन चैम्बर में रखा जाता है, जिससे शरीर के ऊतकों में ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ जाती है। इससे संक्रमण को नियंत्रित करने और ऊतकों की मरम्मत में सहायता मिलती है। इस थैरेपी का उपयोग विशेष रूप से गैस गैंग्रीन में किया जाता है।

4. रक्त प्रवाह में सुधार:

  • वैस्कुलर सर्जरी: अगर गैंग्रीन खराब रक्त प्रवाह के कारण हुआ है, तो वैस्कुलर सर्जरी (जैसे बाईपास सर्जरी) के माध्यम से रक्त प्रवाह को सुधारने की कोशिश की जा सकती है। इससे प्रभावित क्षेत्र में रक्त की आपूर्ति बढ़ाई जा सकती है।
  • एंजियोप्लास्टी: यह एक प्रक्रिया है जिसमें संकुचित या अवरुद्ध धमनियों को चौड़ा करने के लिए बलून कैथेटर का उपयोग किया जाता है, जिससे रक्त प्रवाह सुधरता है।

5. पेन मैनेजमेंट और सपोर्टिव केयर:

  • दर्द निवारक दवाएं: गैंग्रीन के कारण होने वाले दर्द को नियंत्रित करने के लिए दवाएं दी जाती हैं।
  • वृहत पोषण: अच्छी तरह से संतुलित आहार और हाइड्रेशन से शरीर को ठीक होने में सहायता मिलती है।

6. जीवनशैली में बदलाव और रोग की रोकथाम:

  • डायबिटीज प्रबंधन: यदि मरीज को डायबिटीज है, तो इसका सही तरीके से प्रबंधन करना आवश्यक है, क्योंकि यह गैंग्रीन का एक बड़ा कारण हो सकता है।
  • धूम्रपान छोड़ना: धूम्रपान से रक्त प्रवाह में समस्या हो सकती है, इसलिए इसे छोड़ना महत्वपूर्ण है।
  • स्वच्छता और देखभाल: घावों की उचित सफाई और देखभाल से संक्रमण के जोखिम को कम किया जा सकता है।

7. रिकवरी और रिहैबिलिटेशन:

  • फिजिकल थेरेपी: यदि अम्प्यूटेशन किया गया हो, तो फिजिकल थेरेपी से मरीज को पुनर्वास में सहायता मिल सकती है, जिससे वह अपने दैनिक जीवन में वापस लौट सके।

महत्वपूर्ण नोट:

गैंग्रीन का उपचार तुरंत शुरू किया जाना चाहिए, क्योंकि यह एक चिकित्सा आपातकाल है। यदि आपको या किसी और को गैंग्रीन के लक्षण महसूस होते हैं, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। गैंग्रीन का इलाज एक मल्टीडिसिप्लिनरी अप्रोच से किया जाता है, जिसमें सर्जन, चिकित्सक, और अन्य चिकित्सा विशेषज्ञ शामिल हो सकते हैं।

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