देहरादून : खनन विभाग के निदेशक एसएल पैट्रिक ने खुद के अपहरण और 50 लाख फिरौती मांगने की एक एफआईआर दर्ज कराई थी ।
इस कथित अपहरण की कहानी इतनी कमजोर है कि साफ इशारा मिल रहा है कि पैट्रिक असली बात छुपा रहे हैं।
पुलिस ने अगर गहराई से छानबीन की तो हो सकता है कि यह मिलभगत से खनन ठेकों को कब्जाने का भी हो सकता है।
पैट्रिक ने एफआईआर दर्ज कराई थी कि खुद को सचिवालय के एक अपर सचिव का खास बताने वाले ओमप्रकाश तिवारी ने उसका अपहरण कर लिया और दो घंटे तक बंधक बनाकर रखा।
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इस एफआईआर में पैट्रिक ने आश्चर्य रूप से अपर सचिव के नाम का खुलासा नहीं किया है।
एफआईआर के अनुसार तिवारी निदेशक को अपनी कार से बल्लूपुर के पास शारदा गेस्ट हाउस में ले गया।
इससे साफ जाहिर होता है कि दोनों में बहुत ही ज्यादा नजदीकी थी। इसी वजह से दोनों एक ही वाहन से गए।
एफआईआर के अनुसार गेस्ट हाउस में तिवारी ने पैट्रिक को एक कमरे में बंद कर दिया। जहां वे दो घंटे तक बंद रहे।
फिर उन्होंने बाहर खड़े अपने ड्राइवर को बुलाकर दरवाजा खुलवाया। यहां सवाल यह है कि जब पैट्रिक को बंद कर दिया गया पर उनका फोन नहीं लिया गया।
ऐसे में पैट्रिक ने दो घंटे तक पुलिस को फोन क्यों नहीं किया। दो घंटे बाद फोन किया भी तो बाहर खड़े अपने ड्राइवर को।
इससे भी संदेह के घेरे में अपहरण की कहानी ही आ रही थी । वे दो घंटे तक कमरे में बंद रहकर किस बात का इंतजार कर रहे थे।
एक झोल यह भी है कि दो घंटे कमरे में बंद करने की वजह से पैट्रिक इतने ज्यादा बीमार हो गए कि आठ दिन बाद एफआईआर की याद आई।
जाहिर है कि पैट्रिक की कहानी में तमाम झोल था। हो सकता है कि दोनों के बीच किसी बात को लेकर कोई बड़ी डील हो रही हो पर ऐन मौके पर मामला बिगड़ गया।
पैट्रिक दो घंटे तक डील फाइनल करने की कोशिश करते रहे हों। फिर बाहर आकर कई रोज फिर इंतजार किया कि डील शायद फाइनल हो जाए।
मगर जब मामला ज्यादा बिगड़ गया तो ये एफआईआर कराई गई।
मामला संज्ञान में आते ही सीएम धामी ने सख्त फैसला लिया और सरकार ने पैट्रिक को निलंबित कर दिया ।
पैट्रिक पर फर्जी एफआईआर समेत कई अन्य आरोप लगे थे । पैट्रिक को 30 जून को रिटायर होना था ।