भारत सरकार ने अपने कामकाज में माहिर शिल्पकारों और कारीगरों के लिए एक नयी योजना की घोषणा की है, जिसे “पीएम विश्वकर्मा” के नाम से जाना जाएगा।
इस योजना के तहत, कारीगर अपना पंजीकरण बायोमेट्रिक्स के माध्यम से पीएम विश्वकर्मा पोर्टल पर कर सकेंगे।
यह योजना 17 सितंबर को विश्वकर्मा जयंती के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा लॉन्च की जाएगी।
इस योजना का उद्घाटन, प्रधानमंत्री मोदी के स्वतंत्रता दिवस के संबोधन में हुआ था, जब उन्होंने इसे एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में दर्ज किया था।
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हाल ही में, योजना के लिए ₹13,000 करोड़ की आवंटन की गई है, जिससे कारीगरों को वित्तीय समर्थन प्राप्त करने में मदद मिलेगी।
यह योजना 2023-24 से 2027-28 तक पंच वित्तीय वर्षों के लिए उपलब्ध होगी, जिससे शिल्पकारों और कारीगरों को वित्तीय रूप से स्वावलंबी बनाने में मदद मिलेगी।
प्रधानमंत्री कार्यालय ने योजना के बारे में एक विज्ञप्ति में कहा, “पारंपरिक शिल्प में लगे लोगों को समर्थन देने पर प्रधान मंत्री का निरंतर ध्यान केंद्रित रहा है।
यह योजना केवल कारीगरों और शिल्पकारों को आर्थिक समर्थन प्रदान करने की इच्छा से प्रेरित नहीं है, बल्कि इसका उद्देश्य है स्थानीय उत्पादों, कला और शिल्प के माध्यम से सदियों पुरानी परंपरा, संस्कृति और विविध विरासत को जीवित और समृद्ध बनाए रखने की इच्छा से प्रेरित है।”
इस योजना के जरिए, भारत सरकार ने कारीगरों और शिल्पकारों के लिए एक नई दिशा का सूचना दिया है, जिससे सांस्कृतिक और आर्थिक सुधार में महत्वपूर्ण योगदान किया जा सकेगा।
यह योजना देश के शिल्पकारों को उनके कौशलों के प्रति प्रोत्साहित करने का एक महत्वपूर्ण कदम है, जिससे उनके पास नई और सुरक्षित रोजगार की अधिक संभावना होगी।
इस योजना का उद्घाटन, विश्वकर्मा जयंती के मौके पर हो रहा है, जो भारतीय शिल्पकारों और कारीगरों के लिए एक नई दिशा प्रदान करेगा।
इसके माध्यम से, हम सभी उन लोगों का समर्थन कर रहे हैं जिन्होंने देश की धरोहर को जीवंत रखने का संकल्प लिया है और उन्होंने अपनी कला और शिल्प के माध्यम से अपनी प्राचीन विरासत को महसूस किया है।
इस योजना के आगाज़ के साथ, न केवल कारीगरों को समर्थन प्रदान करेंगे, बल्कि उन्हें अपनी कला और शिल्प के माध्यम से अपनी पूरी समृद्धि का अधिक संवेदनशील बनाने में मदद करेंगे।
यह योजना भारतीय संस्कृति और विरासत को नई ऊँचाइयों तक पहुँचाने का एक महत्वपूर्ण कदम है, जिससे हम अपनी धरोहर को जीवंत और समृद्ध बनाने में सहयोग करेंगे।
यह योजना न केवल कला और शिल्प के क्षेत्र में नई संभावनाओं के दरवाजे खोलेगी, बल्कि देश की आर्थिक वृद्धि और विकास में भी महत्वपूर्ण योगदान करेगी।
इस योजना के साथ, हम सभी एक समृद्ध और सशक्त भारत की ओर बढ़ रहे हैं, जहाँ कारीगरों और शिल्पकारों को उनके कौशल और प्रतिबद्धता के अनुसार मौका मिलेगा।