पुलिस के कोर्स में हिंदी में लिखी कानून की किताबें शामिल की गई हैं। इस सबसे नवाचारिक पहल के तहत, पुलिस ट्रेनिंग में 150 साल पुराने उर्दू के शब्दों को हटा दिया गया है, जिन्हें हिंदी के सादे और सरल शब्दों से बदल दिया गया है।
यह कदम भारतीय पुलिस के प्रशिक्षण में महत्वपूर्ण है, क्योंकि अब नए पुलिस अधिकारी और कर्मचारी हिंदी में ही इन किताबों का अध्ययन करेंगे और उन्हें पुलिस फोर्स का हिस्सा बनने के बाद अपनी कार्रवाई भी इसी भाषा में करेंगे।
इसके साथ ही, यह नया प्रक्रियात्मक चरण पुलिस अधिवक्ताओं और न्यायिक अधिकारियों के लिए भी एक बड़ी सुविधा है, क्योंकि निचली अदालतों में भी अब हिंदी में न्याय की प्रक्रिया हो रही है।
पुलिस की यह भाषा समस्या नए अधिकारियों और कर्मचारियों के लिए भी कठिन थी, जो उर्दू के शब्दों के अद्भुत विशेषणों और शब्दों के प्रयोग में कठिनाई महसूस करते थे।
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इस नई पहल के साथ, पुलिस ट्रेनिंग संस्थानों को नवीनतम कानून की किताबों की छपाई काम भी पूरा हो गया हैं, जिससे पुलिस के कर्मचारी और अधिकारी अब बेहद सादे और सरल हिंदी में कानून की शिक्षा प्राप्त कर सकते हैं।
इस सारी प्रक्रिया का उद्देश्य है कि पुलिस अपने काम में उच्चतम स्तर की भाषा का प्रयोग कर सकें और न्यायिक प्रक्रिया को भी सादे और सरल बना सकें, जिससे न्याय की त्रुटि और असमझ को कम किया जा सके।
इस योजना के तहत पुलिस अधिवक्ताओं और न्यायिक अधिकारियों को भी समय की बचत होगी और वे अधिक त्वरित और उच्चतम स्तर की न्यायिक प्रक्रिया का पालन कर सकेंगे।
इस योजना के साथ, पुलिस ट्रेनिंग के नए मोडर्न चरण का आगाज हो रहा है, जो पुलिस को आधुनिकीकरण की ओर बढ़ा रहा है और उन्हें तैयार कर रहा है आज के समय की मांगों और जरूरतों के अनुसार।
पुलिस के विकास और सुधार के साथ-साथ भारतीय कानून और न्यायिक प्रक्रिया को भी आधुनिक बनाने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है।