समान नागरिक संहिता के ड्राफ्ट को तैयार करने वाली समिति का कार्यकाल एक बार फिर से बढ़ सकता है.
जिससे सरकार को ड्राफ्ट का इंतजार है। पहले कार्यकाल नवंबर 2022 में छह माह के लिए मई 2023 तक बढ़ा गया था, इसके बाद मई 2023 में समिति का कार्यकाल चार माह, यानी सितंबर तक के लिए बढ़ाया गया है।
उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता लागू करना प्रदेश सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता में शामिल है।
समिति का गठन मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के मुख्यमंत्री बनने के बाद हुआ था, और इसके बाद समान नागरिक संहिता के ड्राफ्ट के लिए एक विशेषज्ञ समिति का गठन किया गया था, जिसमें चार सदस्य शामिल थे।
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बाद में इसमें सदस्य सचिव को भी शामिल किया गया। विशेषज्ञ समिति के लगभग 15 माह के कार्यकाल में अभी तक 75 से अधिक बैठक हो चुकी हैं और समिति को 2.35 लाख से अधिक सुझाव मिले हैं।
समिति ने बैठकों के जरिये प्रदेश के सभी धर्मों, समुदाय व जनजातियों के प्रतिनिधियों से मुलाकात की और प्रदेश के विभिन्न हिस्सों में जाकर स्थानीय निवासियों से सुझाव लिए हैं।
समिति ने प्रदेश के सभी राजनीतिक दलों के साथ ही नई दिल्ली में भी प्रवासी उत्तराखंड वासियों के साथ भी इस विषय पर संवाद किया।
समिति ने अभी तक सरकार को अपनी रिपोर्ट नहीं सौंपी है, जिसके कारण सरकार को ड्राफ्ट का इंतजार है।
समिति का कार्यकाल 28 सितंबर को पूरा हो रहा है, और ऐसे में पूरी संभावना है कि सरकार इस समिति के कार्यकाल को एक बार फिर से बढ़ा दे। अभी तक दो बार समिति का कार्यकाल बढ़ाया जा चुका है।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी अमूमन अपने हर दिल्ली दौरे में समिति की सदस्यों के साथ चर्चा कर रहे हैं।
जानकारी के अनुसार, माना जा रहा है कि समिति मानसून सत्र से पहले ड्राफ्ट सरकार को सौंप सकती है, लेकिन ऐसा नहीं हो पाया।
अब समिति का कार्यकाल 28 सितंबर को समाप्त हो रहा है, और सरकार को ड्राफ्ट सौंपने के बाद भी इसमें काफी कार्य होना है।
ऐसे में माना जा रहा है कि सरकार समिति के कार्यकाल को एक और विस्तार दे सकती है।
समान नागरिक संहिता के ड्राफ्ट का इंतजार रहेगा, जब तक समिति का अपना काम पूरा नहीं होता।
इससे प्रदेश में सामाजिक और सांस्कृतिक सुधार के मामले में नई दिशा मिल सकती है और सामाजिक सामंजस्य को मजबूत किया जा सकता है।