देहरादून के राजप्लाज़ा में Black Marketing होना मामूली नहीं है, बल्कि यह लगभग करोड़ों रुपये की टैक्स चोरी हो चुकी है और अभी भी चल रही है ।
इस विवाद का केंद्र राजप्लाज़ा क्यो बन रहा है इसके पीछे कारण है कि यहाँ पर 50 प्रतिशत दुकाने अवैध रूप से बनी है और ऐसा एमडीडीए की मिली भगत से संभव हो पाया है ।
सेकंड हैंड फोन और स्मार्ट मोबाइल फोन की एसेसिरीज़ बिना बिल के बेची जाती है और कुछ दुकानदारों द्वारा धडडले से चोरी किए हुये मोबाइल फोन बेचे जाते है जिनका कोई भी डाटा इन दुकानदारो के पास मौजूद नहीं है और सेकंड हैंड मोबाइल फ़ोन बेचने के डाटे का कोई भी रजिस्टर इनके पास मेंटेन नही होता।
करोड़ो की जीएसटी के पक्के बिल की जगह दुकान के लैटर पैड या एस्टीमेट स्लिप पर रसीद व बिल देकर महंगे और चोरी के फोन खरीदने और बेचने के चलते ग्राहको को और जीएसटी डिपार्टमेन्ट को हर माह करोड़ो की चपत लग रही है ।
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राज प्लाज़ा मे पार्किंग पर आए दिन सर फुटटवल
50 प्रतिशत अवैध दुकानों के कारण यहा वीवीआईपी रोड दिलाराम बाज़ार के आस पास जाम की स्थिति बनी रहती है और आए दिन मार्गो से गुजरने वाले लोगो और राज़प्लाज़ा मे दुकान चलाने वालों की बीच हाथापाई होती रहती है ।
इन सबका कारण कही ना कही एमडीडीए भी है जो सिर्फ चालान कर इतने वर्षो मे अपनी भूमिका का निर्वाहन भ्रष्टाचारी तरीके से करता नजर आता है ।
राजप्लाज़ा का इतिहास विवादों से भरा पड़ा है, एमडीडीए द्वारा यहाँ पर लगभग 32 दुकानों का चालान किया गया और ये वाद वर्षो से लंबित है ।
अब आप सोचिए कि 32 अवैध रूप से बनी दुकानों को दो भागो में दुकान मालिको ने विभाजित कर दो लोगो को किराए पर दिया हर दुकानदार अपनी चार पहिया वाहन और दो पहिया वाहन से आया तो 64 गाडियाँ हो गयी और उन दुकानों पर आने वाले ग्राहको और कर्मचारियो कि गाडियाँ भी पार्किंग प्लाज़ा के आस पास और नजदीक सड़को में खड़ी करी जाती है ।
तभी ये जाम की स्थिति और मारपीट होती रहती है । देहरादून विकास प्राधिकरण में इस विवाद पर कई बार पर्याप्त चर्चा हो चुकी है, आज जब इस सेक्टर के सहायक अभियंता दिग्विजय नाथ तिवारी से दूरभाष पर बात करी तो उन्होने बताया कि उनके द्वारा पूर्व मे इन सभी दुकानों का चालान कर दिया गया है पर उच्च अधिकारियों को सीलिंग की कार्यवाई करनी होती है पर दबाब के कारण नहीं हो पायी । उन्होने कहा कि उनका स्थानांतरण अन्य जिले मे हो गया है अब दूसरे अभियंता या उच्च अधिकारियों से बात करें। जब हमारे द्वारा प्राधिकरण के उपाध्यक्ष बंसीधर तिवारी एवं सचिव मोहन सिंह बार्निया से बात करनी चाही तो उन्होने फोन नहीं उठाया ।
शाम की रंगीनिया..
राजप्लाज़ा और उसके आस पास शाम होते है स्पा सेंटर में मौजूद ग्राहको को एक्स्ट्रा सर्विसेज के नाम पर शबाब भी परोसा जाता है, इस पर पुलिस प्रशासन भी कुछ नहीं कर पाता क्यूकि यंहा पर आने वाले बड़ी-बड़ी गाड़ियों के ग्राहको के रसूख बहुत ऊपर है ।
बाहरी तत्वो और बिना सत्यापित लोगो ने भी यहाँ पर अपनी दुकाने खोल कर अवैध रूप से काम कर रहे है और जल्द ही अमीर बन बड़ी-बड़ी गाडियाँ लेकर राज प्लाज़ा के आस पास सड़कों में जाम लगा कर अपना रसूख गालिब करते रहते है , अगर स्थानीय प्रशासन द्वारा जल्द इनका सत्यापन नहीं किया गया तो किसी भी दिन कोई गंभीर घटना घटित हो सकती है ।
इसके साथ जीएसटी विभाग को भी इन पर शिकंजा कसना चाहिए क्यूकि करोड़ो की हर माह टैक्स चोरी एक बड़ा मुद्दा है ।
राज प्लाज़ा में नगर निगम को भी इनके किराएदारी के अनुबंध का भी सत्यापन करना चाहिए क्यूकि किराया किसी भी दुकान का 60 हजार से लेकर 150000 रूपये तक दुकान मालिको द्वारा लिया जाता है और नगर निगम में मिली भगत से व्यावसायिक भवनकर चंद रुपयो मे किया जाता है ।
राज प्लाज़ा के आस पास आवासीय परिसरो में स्पा सेंटरो का संचालन किया जा रहा है, किसके संरक्षण में ?
अब देखना ये होगा कि देहारादून का स्थानीय प्रशासन इन बातो को संज्ञान में लेकर कोई बड़ी कार्यवाई करता है या नही !