लॉन्च के बाद चंद्रयान-3 ने अंतरिक्ष में तीसरी बाधा पार कर ली है। चंद्रयान-3 ने दूसरा ऑर्बिट-रेजिंग मैनूवर सफलतापूर्वक पूरा कर लिया है।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने सोमवार दोपहर 1.14 बजे यह अपडेट दिया।
इसरो के मुताबिक, चंद्रयान-3 की लोकेशन अब 41603 km x 226 ऑर्बिट में है।
यह धरती के चक्कर लगाते हुए उसके गुरुत्वाकर्षण बल से बाहर निकलेगा।
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इसरो के अनुसार, अगली फायरिंग मंगलवार दोपहर 2 और 3 बजे के बीच होगी।
इसरो ने शुक्रवार को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा से चंद्रयान-3 का लॉन्च किया।
चंद्रयान-3 को चंद्रमा पर पहुंचने में करीब 40 दिन लगेंगे।
इसका लक्ष्य चंद्रमा की सतह पर ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ की दुर्लभ उपलब्धि हासिल करना है।
आखिर चांद पर कब तक उतरेगा चंद्रयान-3:
चंद्रयान-3 के 23 या 24 अगस्त को चंद्रमा पर लैंड करने की संभावना है।
चंद्रयान-3 में एक प्रपल्शन मॉड्यूल (वजन 2,148 किलोग्राम), एक लैंडर (1,723.89 किलोग्राम) और एक रोवर (26 किलोग्राम) शामिल है।
रॉकेट का पहला चरण ठोस ईंधन से चलता है, दूसरा चरण तरल ईंधन पर अंतिम चरण में तरल हाइड्रोजन और तरल ऑक्सीजन से चलने वाला क्रायोजेनिक इंजन है।
चंद्रयान-3 का मुख्य उद्देश्य लैंडर को चंद्रमा की जमीन पर सुरक्षित उतारना है।
उसके बाद रोवर प्रयोग करने के लिए बाहर निकलेगा।
लैंडर से बाहर निकलने के बाद प्रपल्शन मॉड्यूल द्वारा ले जाए गए पेलोड का जीवन तीन से छह महीने के बीच है।
कामयाब हुआ तो इतिहास रच देगा भारत। ।
अगर ISRO का 600 करोड़ रुपये का चंद्रयान-3 मिशन लैंडर को उतारने में सफल हो जाता है तो अमेरिका, चीन और पूर्व सोवियत संघ के बाद भारत चंद्र सतह पर ‘सॉफ्ट-लैंडिंग’ की तकनीक में महारत हासिल करने वाला चौथा देश बन जाएगा।
चंद्रयान-2 तब ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ में विफल हो गया था जब इसका लैंडर ‘विक्रम’ 7 सितंबर, 2019 को ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ का प्रयास करते समय ब्रेकिंग प्रणाली में गड़बड़ी के चलते चंद्रमा की सतह पर क्रैश हो गया था।
चंद्रयान-1 मिशन को 2008 में भेजा गया था। पंद्रह साल में इसरो का यह तीसरा चंद्र मिशन है।