थपली बाबा व नत्थन पीर बाबा की मजारो को पुर्न स्थापित किये जाने की मांग की है।
ज्ञातव्य रहे कि रामनगर से गर्जिया मार्ग पर कार्बेट टाईगर रिर्जव की बिजरानी रेंज के थपली चोड़ मे फूल बाबा की मजार है।
जिसे थपली बाबा की मजार के नाम से जाना जाता है तथा इस मजार मे सभी धर्मो के अकीदमंदो की आस्था है।
बीते दिनो वनभूमि मे अतिक्रमण को लेकर वन विभाग के द्वारा उत्तराखंड सरकार के निर्देश पर चलाये जा रहे अतिक्रमण हटाओ अभियान के तहत उक्त मजार के मुजाबिर अशरफ अली को नोटिस दिया गया था।
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जिसके जबाब मे मुजाबिर द्वारा जमा किये गये प्रपत्रो को अपूर्ण मानते हुये विभाग ने मजार की संररचना हटाये जाने का बात कही थी मगर हजारो लोगो की आस्था को देखते हुये आस्था रखने वालो ने मुजाबिर को हाईकोर्ट जाने के लिये मोहलत दिये जाने की मांग की थी।
15 मई 2023 को अचानक वन विभाग की टीम तथा प्रशासन ने मौके पर पहुंचकर अतिक्रमण की संरचना बताते हुए दरगाह को बुलडोजर से ध्वस्त कर दिया ।
प्रशासन के द्वारा की गई कार्यवाही की भनक लगते ही सेकड़ो की संख्या मे सभी धर्मो व वर्गो के लोग मौके पर पहुॅचे व अपना रोष व्यक्त किया।
मजार से धार्मिक किताबे व आवश्यक वस्तुये हटाये जाने की मांग को लेकर कुछ लोगो ने मुजाबिर व उनके पुत्र को मजार तक जाने की मांग की जिसके लिये अनुमति नही दिये जाने से नराज लोगो ने नारेबाजी शुरू कर दी।
जिसके बाद उन्हे मजार तक जाने की अनुमति दी गयी जिन्होने नीचे वापिस आकर धर्मिक पुस्तको के फट जाने का आरोप लगाया जिससे आक्रोशित लोगो ने हाईवे पर जाम लगाने की कोशिश की मगर मौके पर पहुॅचे।
एसडीएम गौरव चटवाल, सीओ बलजीत सिंह भाकूनी, कोतवाल अरूण कुमार सैनी ने लोगो को धार्मिक पुस्तके मुजाबिर के छोटे बेटे के पास सुरक्षित रखने की विडियो को दिखाकर शांत किया।
इसके उपरांत आक्रोशित भीड़ ने जूलूस की शक्ल मे एसडीएम कोर्ट जाकर एसडीएम को मुख्यमंत्री के नाम सम्बोधित एक ज्ञापन सौपा जिसमे वनभूमि के अतिक्रमण के नाम पर 140 वर्ष पुरानी थपली बाबा की मजार व 100 वर्ष पुरानी नत्थनपीर बाबा की मजार को पुनः स्थापित किये जाने की अनुमति दी जाये।
धार्मिक अतिक्रमणो खासकर मजारो को बिना किसी प्रथम सूचना के ध्वस्तीकरण की कार्यवाही पर रोक लगाये जाने तथा उनके संचालको व मुजाबिरो को इसकी सूचना दिये जाने, रामनगर क्षेत्र मे जिन धार्मिक स्थलो को ध्वस्त करना है।
उनकी सूची उपलब्ध करायी जाने, वनभूमि होने के कारण बिजली, पानी की रशीद व अन्य सबूतो के आभाव मे वर्षो पुरानी मजारो को ध्वस्त नही किया जाने बल्कि जनमानस के कथन व जनप्रतिनिधियो के द्वारा दिये गये प्रमाण पत्रो के आधार पर उन्हे अतिक्रमण की दर्ज से दूर रखे जाने, वनभूमि के अतिक्रमण के नाम पर हटायी जा रही मजारो के आस्थाने का मलबा इधर उधर नही फेक कर कमेटी या मुजाबिरो को सुपुर्द किये जाने।
अतिक्रमण हटाये की कार्यवाही के दौरान हो रहे धार्मिक पुस्तको के अनादर को रोकने के निर्देश अधिकारियो को दिये जाने व उन पुस्तको को संचालको या मुजाबिरो को पहले से सौपे जाने के लिये निर्देशित किये जाने की मांग की है।