हादसों को न्योता दे रहे हैं और कई ऐसे वाहन संचालक हैं, जिनके पास ड्राइविंग लाइसेंस तक नहीं है।
कुछ ऐसे वाहन हैं, जो प्राइवेट हैं और चुपकर स्कूली बच्चों को स्कूल ले जा रहे और छोड़ रहे हैं।
ओवरलोडिंग का तो क्या कहना, नियम के विरुद्ध बच्चों को ठूंस कर ले जा रहे हैं। जिससे बच्चों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
ये हम नहीं कर रहे हैं, बल्कि आरटीओ की दो दिन तक चली कार्रवाई में ये फाइंडिंग निकलकर सामने आईं।
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अब अंदाजा लगा सकते हैं कि जिन स्कूल वैन, बसों या फिर अन्य वाहनों पर आपको पूरा भरोसा कि आपका बच्चा स्कूल तक सेफ पहुंच रहा है, वह आपके माथे पर बल पहुंचा सकता है।
जब आरटीओ की ओर से लगातार मिल रही शिकायतें के बीच कार्रवाई शुरू की गई तो पता चला इनमें स्कूलों के वाहनों के अलावा प्राइवेट स्कूल वाहन संचालक भी शामिल हैं।
दो दिन के स्पेशल कैंपेन में आरटीओ की टीमों को सबसे ज्यादा अनफिट वाहन मिले। मतलब साफ है कि बिना किसी डर, भय के ये वाहन राजधानी की सड़कों पर फर्राटे भर रहे हैं।
जिनमें नौनिहाल सवार होते हैं। ऐसे ही दूसरे नंबर पर ऐसे वाहन में मिले, जिनके पास परमिट ही नहीं है।
खास बात ये है कि तीसरे नंबर पर ऐसे वाहन मिले, जिनके चालकों के पास ड्राइविंग लाइसेंस ही नहीं थे, जिनके पास थे भी, वे एक्सपायरी थे।
फायर सेफ्टी तक के इंतजाम नहीं:
बताया जा रहा है कि लगातार मिल रही शिकायतों के बीच आरटीओ ने हाईकोर्ट के दिशा-निर्देशों के क्रम में बच्चों की सुरक्षा को देखते हुए स्कूली वाहनों की चेकिंग का निर्णय लिया।
जिसके बाद रिजल्ट सबके सामने है। बताया गया है कि 21 ऐसे वाहन मिले, जिनके पास फस्र्ट एड बॉक्स तक की सुविधा नहीं थी।
हर वक्त फायर सेफ्टी के इंतजाम होने की बात कही जाती है, 15 स्कूली वाहनों में ये भी नहीं मिले।