इस अवसर पर बोलते हुए सिंह ने कहा कि डीके कोटिया समिति ने अपनी रिपोर्ट में स्पष्ट रूप से उल्लेख किया है कि विधानसभा में नियुक्तियों में पहले दिन से ही गड़बड़ी हुई है और ऐसे में वर्ष 2016 के बाद नियुक्त कर्मचारियों पर ही दंडात्मक कार्रवाई की गई है।
उन्होंने कहा कि अध्यक्ष वर्ष 2016 से पहले भर्ती हुए कर्मचारियों को इस आधार पर सुरक्षा नहीं दे सकते कि वे अब नियमित कर्मचारी हैं।
सिंह ने कहा कि जिन कर्मचारियों को नियुक्त किया गया और फिर बर्खास्त कर दिया गया, उनकी नियुक्ति के लिए अपनाई गई प्रक्रिया में कोई भूमिका नहीं थी और वे दोषी नहीं हैं।
उन्होंने कहा कि असली गुनहगार वे हैं जिन्होंने ये नियुक्तियां कीं।
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यहां यह बताना उचित होगा कि 2016 से पहले भर्ती किए गए सभी तदर्थ कर्मचारियों को नियमित किया गया था।
जबकि 2016, 2020 और 2021 में भर्ती किए गए कर्मचारियों को कोटिया कमेटी की सिफारिशों पर स्पीकर खंडूरी द्वारा बर्खास्त कर दिया गया था।
कानूनी लड़ाई हारने के बाद ये कर्मचारी देहरादून में विधानसभा के बाहर अनिश्चितकालीन धरने पर बैठे हैं।